आज के समय में सोलर पैनल का उपयोग करके सूर्य की ऊर्जा के जरिए बिजली जनरेट करने के बारे में हर एक व्यक्ति को जानकारी होती है, लेकिन सोलर पैनल के प्रकार के बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी होती है। इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको मुख्य रूप से सोलर पैनल के प्रकारों के बारे में बताने वाले हैं केवल इतना ही नहीं बल्कि हम आपको यह भी बताएंगे कि सोलर पैनल कौन सा घर पर लगवाना अच्छा होता है, तो चलिए हम सोलर पैनल के प्रकारों को जानते हैं।
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं?
सोलर पैनल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं पॉलीक्रिस्टलाइन, मोनोक्रिस्टलाइन और बाइफेशियल सोलर पैनल। लेकिन हम सोलर पैनल को उनके बनावट के आधार पर पांच प्रकार में divide करते हैं। सोलर पैनल के प्रकारों के बारे में जाने से पहले हमें क्या जानना जरूरी होता है कि सोलर पैनल बनते कैसे हैं, सोलर पैनल सिलिकॉन का बना होता है सिलिकॉन धरती पर ज्यादा मात्रा में बालू पर पाया जाता है। पुरीफिकेशन की प्रक्रिया के द्वारा बालू से सिलिकॉन को अलग किया जाता है।
सिलिकॉन एक ऐसा एलिमेंट है जो सूर्य ऊर्जा को अवशोषित करने की क्षमता रखता है, शुद्ध सिलिकॉन से क्रिस्टल बनाए जाते हैं जिससे सोलर पैनल भी बनता है। तो चलिए अब हम सोलर पैनल के सभी प्रकारों को जानते हैं।
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
सभी प्रकार के सोलर पैनल में सबसे पुराना सोलर पैनल पॉलिशक्रिस्टलाइन सोलर पैनल को माना जाता है, इस सोलर पैनल को बनाने की प्रक्रिया थोड़ी सस्ती होती है इस कारण इस सोलर पैनल की कीमत भी कम होती है। पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का शब्द पॉलीक्रिस्टलाइन दो शब्दों से मिलकर बना है पाली और क्रिस्टल, यहां पर पाली का अर्थ होता है एक से अधिक और क्रिस्टल का तात्पर्य है सिलिकॉन से बना हुआ बहुत सारे क्रिस्टल से। जिससे सूर्य की ऊर्जा absorb की जाएगी।
अगर पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल के एफिशिएंसी रेट के बारे में बात की जाए तो ये 16% -17% तक रहता है इसलिए पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का उपयोग ऐसी जगह करना चाहिए जहां पर सूर्य की रोशनी अधिक रहती है। अगर आपका घर बर्फीले या फिर अधिक वर्षा वाले इलाके में है तो आपको इस सोलर पैनल का उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि यह केवल अधिक सूर्य की ऊर्जा के द्वारा ही बिजली उत्पन्न कर सकता है।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
सिलिकॉन के सिंगल क्रिस्टल के द्वारा मोनोक्रिस्ट लाइन सोलर पैनल को बनाया जाता है, इस प्रकार के सोलर पैनल में किसी भी प्रकार की अशुद्धियां नहीं पाई जाती है, क्योंकि यह सोलर पैनल सिलिकॉन क्रिस्टल से बना होता है। इस तरह के सोलर पैनल में आमतौर पर सूर्य की रोशनी absorb करने की क्षमता अधिक होती है।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की कीमत पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तुलना में अधिक होती है, इस सोलर पैनल का रंग काला होता है और कोने पर गोल जैसा सोलर सेल कटा होता है, जिसे आप हर मौसम में इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर बारिश के मौसम में भी आपको सोलर एनर्जी के द्वारा बिजली चाहिए तो भी या सोलर पैनल बिजली उत्पन्न करता है। अगर एफिशिएंसी रेट के बारे में बात की जाए तो मोनोक्रिस्ट लाइन सोलर पैनल की एफिशिएंसी रेट 19% -20% लगभग है।
थिन -फिल्म सोलर पैनल
पॉलीक्रिस्ट लाइन और मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तुलना में थिन -फिल्म सोलर पैनल नए तरीके का बिल्कुल नया सोलर पैनल माना जाता है, जैसा कि सोलर पैनल के नाम से ही पता चल रहा है की पतली फिल्म वाला सोलर पैनल यानी यह सोलर पैनल पतला सा और थोड़ा लचीला होता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भी प्रकार के सोलर पैनल को बनाने में सिलिकॉन क्रिस्टल का उपयोग किया जाता है लेकिन इंडिया सोलर पैनल थोड़ा अलग है इसको बनाने में कैडमियम टेलुराइड (CdTe), अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si), और कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड (CIGS) आदि का उपयोग किया जाता है। इसमें मौजूद अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si) कोई सिलिकॉन क्रिस्टल नहीं है बल्कि non cristle silicon हैं। इस सोलर पैनल की खासियत यह है कि यह किसी भी आकर में फिट आ जाता है, यह सोलर पैनल सिलिकॉन क्रिस्टल सोलर पैनल की तुलना में 350 गुना पतला होता है। अर्थात ये जरूरत के अनुसार अलग-अलग साइज में आ जाता है।
हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल
आपने गौर किया होगा कि नॉर्मल सोलर पैनल में 72 सेल मौजूद होते हैं लेकिन हाफ कट मोनोपरक पैनल में 144 सेल मौजूद मिलते हैं, यानी ये सोलर पैनल क्रिस्टल सोलर पैनल का ही अपग्रेड वर्जन है। जैसे कि इस सोलर पैनल के नाम में ही है हाफ कट मोनोपरक सोलर पैनल यानी इस सोलर पैनल में हमें अंदर लगे सेल दो भाग में कटे हुए मिलते हैं,सेल कटे होने के कारण resistance कम रहता है। इसलिए इस सोलर पैनल को ऐसी जगह भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पर धूप की रोशनी बहुत कम आती है। इस सोलर पैनल की सबसे अच्छी बात यह है कि इस सोलर पैनल के अगर आधे भी हिस्से में सूर्य की रोशनी पड़ती है तो यह सोलर पैनल बिजली उत्पन्न करता है।
बाइफेशियल सोलर पैनल
आमतौर पर किसी भी सोलर पैनल के ऊपर के area पर धूप पड़ने पर ही वह बिजली उत्पन्न करता है लेकिन बायफेशियल सोलर पैनल दोनों तरफ से ऊर्जा उत्पन्न करता है। इसके अलावा सभी प्रकार के सोलर पैनल में backsheet का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन बाय फेशियल सोलर पैनल में हम backsheet का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
जिससे सोलर पैनल के पीछे के हिस्से पर भी सूर्य की रोशनी पड़ने पर बिजली उत्पन्न होती है, इस सोलर पैनल के दोनों तरफ ट्रांसपेरेंट ग्लास से ढका जाता है ताकि दोनों तरफ से सोलर पैनल ऊर्जा उत्पन्न कर सके। किसी भी नॉर्मल सोलर पैनल की तुलना में बाय फेशियल सोलर पैनल 30% अधिक बिजली उत्पन्न करता है। अब आप सोलर पैनल के प्रकार और बनावट के आधार पर सोलर पैनल के प्रकारों को अच्छी तरह समझ चुके हैं अब आपको जरूरत के अनुसार सोलर पैनल लगवाने में मदद मिलेगी।
सेलों की संख्या के आधार पर सोलर पैनल के प्रकार
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि सोलर पैनल छोटे-छोटे सेलो से मिलकर बने होते हैं, और एक सोलर पैनल में जितने सेल लगे होते हैं उतने सेल का वह सोलर पैनल कहलाता है। इसलिए हम सैलो की संख्या के आधार पर भी सोलर पैनल के प्रकारों को बांटते हैं।
- 36 सेल सोलर पैनल
- 60 सेल सोलर पैनल
- 72 सेल सोलर पैनल
सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है?
आपके लिए सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा हो सकता है यह आपकी जरूरत और आप जिस स्थान पर आप सोलर पैनल लगाएंगे उस स्थान पर कितनी सूर्य रोशनी आती है इस बात पर निर्भर करता है। सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है इस बात को अच्छी तरह समझने के लिए हम आपको बताते हैं अगर आपके घर पर पर्याप्त सूर्य की रोशनी आती है जिससे आपका सोलर पैनल अच्छी तरह चार्ज हो सके तो आपके लिए पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल स्थापित करना ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है।
लेकिन अगर आपके घरों में सूर्य की रोशनी बहुत कम आती है या ज्यादातर समय वर्षा रहता है तो आपके लिए मोनोक्रिस्टलाइन या बायफेशियल सोलर पैनल आदि बेहतर विकल्प हो सकते हैं। हालांकि हमने आपको सभी प्रकार के सोलर पैनल के बारे में विस्तृत पूर्वक जानकारी ऊपर बताया है जिसके द्वारा आप सोलर पैनल के विषय में जानकारी अपनी जरूरत के अनुसार हासिल कर सकते हैं।
Frequently Asked Questions
आमतौर पर सोलर पैनल तीन प्रकार के होते हैं, पोलो क्रिस्टलाइन,मोनोक्रिस्टलाइन, बाईफेशियल लेकिन बनावट के आधार पर सोलर पैनल पांच प्रकार के होते हैं।
भारत में सोलर पैनल मुख्य रूप से बनावट के आधार पर पांच प्रकार के होते हैं। मोनोक्रिस्टलाइन, पॉलीक्रिस्टलाइन, थिन -फिल्म सोलर पैनल, हाफ कट मोनो पर्क सोलर पैनल, बाइफेशियल सोलर पैनल।
अगर सभी प्रकार के सोलर पैनल में सस्ता सोलर पैनल की बात की जाए तो सबसे सस्ता सोलर पैनल पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल है जिसे अधिक धूप की आवश्यकता होती है।
अगर सोलर पैनल के चलने की अवधि के बारे में बात की जाए तो कोई भी सोलर पैनल लगभग 20 से 35 साल तक चलता है।
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में इस ब्लॉग का एडमिन हूँ, पिछले कुछ सालो में मेने इस सोलर इंडस्ट्री के बारे में काफी सारी जानकारी प्राप्त की है, और इसी जानकारी को में आप सभी के साथ शेयर करना चाहत हूँ।